April 2023

कस्तूरी कुंडल बसै, मृग ढूंढे बन माहिं (अर्थ)

कस्तूरी कुंडल बसै, मृग ढूंढे बन माहिं । ऐसे घट-घट राम है, दुनिया देखे नाहिं ।। अर्थ: भगवान प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में विद्यमान है परंतु सांसारिक प्राणी उसे देख…

करता था सो क्यों किया, अब कर क्यों पछिताय (अर्थ)

करता था सो क्यों किया, अब कर क्यों पछिताय । बोया पेड़ बाबुल का, आम कहाँ से खाय ।। अर्थ: कार्य को विचार कर करना चाहिए, जिस प्रकार बबूल का…

काया काढ़ा काल धुन, जतन-जतन सो खाय (अर्थ)

काया काढ़ा काल धुन, जतन-जतन सो खाय । काया ब्रह्म ईश बस, मर्म न काहूँ पाय ।। अर्थ: काष्ठ रूपी काया को काल रूपी धुन भिन्न-भिन्न प्रकार से खा रहा…