कली खोटा सजग आंधरा, शब्द न माने कोय (अर्थ)
कली खोटा सजग आंधरा, शब्द न माने कोय । चाहे कहूँ सत आइना, सो जग बैरी होय । अर्थ: यह कलयुग खोटा है और सारा जग अंधा है मेरी बात…
कली खोटा सजग आंधरा, शब्द न माने कोय । चाहे कहूँ सत आइना, सो जग बैरी होय । अर्थ: यह कलयुग खोटा है और सारा जग अंधा है मेरी बात…
कबिरा यह तन जात है, सके तो ठौर लगा । कै सेवा कर साधु की, कै गोविंद गुनगा ।। अर्थ: कबीर दास जी कहते हैं, यह जीवन (शरीर) दिन प्रति…