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पत्ता बोला वृक्ष से, सुनो वृक्ष वनराय (अर्थ)

पत्ता बोला वृक्ष से, सुनो वृक्ष वनराय । अब के बिछुड़े ना मिले, दूर पड़ेंगे जाय ।। अर्थ: पत्ता वृक्ष को सम्बोधन करता हुआ कहता है कि हे वनराय अब…

पाहन पूजे हरि मिलें, तो मैं पूजौं पहार (अर्थ)

पाहन पूजे हरि मिलें, तो मैं पूजौं पहार । याते ये चक्की भली, पीस खाय संसार ।। अर्थ: कबीरदास जी कहते हैं कि यदि पत्थरों (मूर्तियों) के पूजन मात्र से…

पानी केरा बुदबुदा, अस मानस की जात (अर्थ)

पानी केरा बुदबुदा, अस मानस की जात । देखत ही छिप जाएगा, ज्यों सारा परभात ।। अर्थ: कबीरदास जी कहते हैं कि मनुष्य जीवन पानी के बुलबुले के समान है…