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दुर्लभ मानुष जनम है, देह न बारम्बार (अर्थ)

दुर्लभ मानुष जनम है, देह न बारम्बार । तरुवर ज्यों पत्ती झड़े, बहुरि न लागे दार ।। अर्थ: यह मनुष्य जन्म बड़ी मुश्किल से मिलता है । और यह देह…

तेरा साईं तुझ में, ज्यों पहुन में बास (अर्थ)

तेरा साईं तुझ में, ज्यों पहुन में बास । कस्तूरी का हिरण ज्यों, फिर-फिर ढूँढ़त घास ।। अर्थ: कबीरदास जी कहते हैं कि मनुष्य तेरा स्वामी भगवान तेरे ही अंदर…

तिनका कबहुँ न निंदिये, जो पाँव तले भी होय (अर्थ)

तिनका कबहुँ न निंदिये, जो पाँव तले भी होय । कबहुँ उड़ आँखों पड़े, पीर घनेरी होय ।। अर्थ: तिनके का भी अनादर नहीं करना चाहिए । चाहे वह हमारे…