जाके जिभ्या बन्धन नहीं हृदय में नाहिं साँच (अर्थ)

जाके जिभ्या बन्धन नहीं हृदय में नाहिं साँच । वाके संग न लागिये, खाले वटिया काँच ।। अर्थ: जिसको अपनी जीभ पर नियंत्रण नहीं और मन में सच्चाई नहीं तो…

जहाँ ग्राहक तंह मैं नहीं, जंह मैं गाहक नाय (अर्थ)

जहाँ ग्राहक तंह मैं नहीं, जंह मैं गाहक नाय । बिको न यक भरमत फिरे, पकड़ी शब्द की छाँय ।। अर्थ: कबीरदास जी कहते हैं कि जिस स्थान पर ग्राहक…

जाके मुख माथा नहीं, नाहीं रूप कुरूप (अर्थ)

जाके मुख माथा नहीं, नाहीं रूप कुरूप । पुछुप बास तें पामरा, ऐसा तत्व अनूप ।। अर्थ: निराकार ब्रह्म का कोई रूप नहीं है वह सर्वत्र व्यापक है न वह…