काह भरोसा देह का, बिनस जात छिन मारहिं (अर्थ)

काह भरोसा देह का, बिनस जात छिन मारहिं । साँस-साँस सुमिरन करो, और यतन कछु नाहिं ।। अर्थ: कबीरदास जी कहते हैं कि इस पंच तत्व शरीर का क्या भरोसा…