धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय (अर्थ)
धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय । माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय ।। अर्थ: हे मन धीरे-धीरे सब कुछ हो जाएगी माली सैकड़ों घड़े पानी पेड़…
नहिं शीतल है, चंद्रमा, हिम नहिं शीतल होय (अर्थ)
नहिं शीतल है, चंद्रमा, हिम नहिं शीतल होय । कबिरा शीतल संतजन, नाम स्नेही होय ।। अर्थ: चंद्रमा शीतल नहीं है और हिम भी शीतल नहीं, क्योंकि उनकी शीतलता वास्तविक…
दया कौन पर कीजिये, कापर निर्दय होय (अर्थ)
दया कौन पर कीजिये, कापर निर्दय होय । साईं के सब जीव है, कीरी कुंजर दोय ।। अर्थ: किस पर दया करनी चाहिए या किस पर नहीं करनी चाहिए हाथी…
दया आप हृदय नहीं, ज्ञान कथे वे हद (अर्थ)
दया आप हृदय नहीं, ज्ञान कथे वे हद । ते नर नरक ही जायंगे, सुन-सुन साखी शब्द ।। अर्थ: जिनके हृदय में दया नहीं है और ज्ञान की कथायें कहते…
दस द्वारे का पिंजरा, तामें पंछी मौन (अर्थ)
दस द्वारे का पिंजरा, तामें पंछी मौन । रहे को अचरज भयौ, गये अचम्भा कौन । अर्थ: यह जो शरीर है इसमें जो प्राण वायु है वह इस शरीर में…
दुर्लभ मानुष जनम है, देह न बारम्बार (अर्थ)
दुर्लभ मानुष जनम है, देह न बारम्बार । तरुवर ज्यों पत्ती झड़े, बहुरि न लागे दार ।। अर्थ: यह मनुष्य जन्म बड़ी मुश्किल से मिलता है । और यह देह…
तन बोहत मन काग है, लक्ष योजन उड़ जाय (अर्थ)
तन बोहत मन काग है, लक्ष योजन उड़ जाय । कबहुँ के धर्म अगमदयी, कबहुँ गगन समाय ।। अर्थ: मनुष्य का शरीर विमान के समान है और मन काग के…
तब लग तारा जगमगे, जब लग उगे नसूर (अर्थ)
तब लग तारा जगमगे, जब लग उगे नसूर । तब लग जीव कर्मवश, जब लग ज्ञान ना पूर ।। अर्थ: जब तक सूर्य उदय नहीं होता तब तक तारा चमकता…
दिल का मरहम कोई न मिला, जो मिला सो गर्जी (अर्थ)
दिल का मरहम कोई न मिला, जो मिला सो गर्जी । कहे कबीर बादल फटा, क्यों कर सीवे दर्जी ।। अर्थ: इस संसार में ऐसा कोई नहीं मिला, जो कि…
तन को जोगी सब करे, मन को बिरला कोय (अर्थ)
तन को जोगी सब करे, मन को बिरला कोय । सहजै सब बिधिपाइये, जो मन जोगी होय ।। अर्थ: कबीरदास जी कहते हैं कि शरीर से तो सभी योगी हो…