पैसे के ऊपर कबीर के दोहे – kabir ke dohe
पैसे के ऊपर कबीर के दोहे (kabir ke dohe for money in hindi) कबीर पशु पैसा ना गहै, ना पहिरै पैजार ना कछु राखै सुबह को, मिलय ना सिरजनहार। अर्थ-…
अनुभव के ऊपर कबीर के दोहे – kabir ke dohe
अनुभव के ऊपर कबीर के दोहे (kabir ke dohe for Experience in hindi) कागत लिखै सो कागदी, को व्यहाारि जीव आतम द्रिष्टि कहां लिखै , जित देखो तित पीव। अर्थ-…
समय के ऊपर कबीर के दोहे – kabir ke dohe
समय के ऊपर कबीर के दोहे (kabir ke dohe for time in hindi) कबीर गाफील क्यों फिरय, क्या सोता घनघोर तेरे सिराने जाम खड़ा, ज्यों अंधियारे चोर। अर्थ- कबीर कहते…
पत्ता बोला वृक्ष से, सुनो वृक्ष वनराय (अर्थ)
पत्ता बोला वृक्ष से, सुनो वृक्ष वनराय । अब के बिछुड़े ना मिले, दूर पड़ेंगे जाय ।। अर्थ: पत्ता वृक्ष को सम्बोधन करता हुआ कहता है कि हे वनराय अब…
पाहन पूजे हरि मिलें, तो मैं पूजौं पहार (अर्थ)
पाहन पूजे हरि मिलें, तो मैं पूजौं पहार । याते ये चक्की भली, पीस खाय संसार ।। अर्थ: कबीरदास जी कहते हैं कि यदि पत्थरों (मूर्तियों) के पूजन मात्र से…
पानी केरा बुदबुदा, अस मानस की जात (अर्थ)
पानी केरा बुदबुदा, अस मानस की जात । देखत ही छिप जाएगा, ज्यों सारा परभात ।। अर्थ: कबीरदास जी कहते हैं कि मनुष्य जीवन पानी के बुलबुले के समान है…
पोथी पढ़-पढ़ जग मुआ, पंडित हुआ न कोय (अर्थ)
पोथी पढ़-पढ़ जग मुआ, पंडित हुआ न कोय । एकै आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय ।। अर्थ: पुस्तकों को अध्ययन करते-करते जाने कितने व्यक्ति मर गए परंतु कोई…
प्रेम न बारी ऊपजै, प्रेम न हाट बिकाय (अर्थ)
प्रेम न बारी ऊपजै, प्रेम न हाट बिकाय । राजा परजार जोहि रुचे, सीस देइ ले जाए ।। अर्थ: प्रेम न जो बाड़ी (बगीचा) में उपजता है और न बाजार…
पाँच पहर धन्धे गया, तीन पहर गया सोय (अर्थ)
पाँच पहर धन्धे गया, तीन पहर गया सोय । एक पहर भी नाम बिन, मुक्ति कैसे होय ।। अर्थ: दिन में आठ पहर होते हैं, उन आठ पहरों में से…
न्हाये धोये क्या हुआ, जो मन मैल न जाय (अर्थ)
न्हाये धोये क्या हुआ, जो मन मैल न जाय । मीन सदा जल में रहै, धोये बास न जाय ।। अर्थ: नहाने और धोने से क्या लाभ जब कि मन…