जो तोकूं काँटा बुवै, ताहि बोय तू फूल (अर्थ)
जो तोकूं काँटा बुवै, ताहि बोय तू फूल । तोकू फूल के फूल है, बांकू है तिरशूल ।। अर्थ: कबीर जी कहते हैं कि जीव यदि तेरे लिए कोई कांटे…
जब लग नाता जगत का, तब लग भक्ति न होय (अर्थ)
जब लग नाता जगत का, तब लग भक्ति न होय । नाता तोड़ हरि भजे, भकत कहावै सोय ।। अर्थ: जब तक संसार की प्रवृत्तियों में जीव का मन लगा…
जब लग भक्ति से काम है, तब लग निष्फल सेव (अर्थ)
जब लग भक्ति से काम है, तब लग निष्फल सेव । कह कबीर वह क्यों मिले, निःकामा निज देव ।। अर्थ: जब तक भक्ति स्वार्थ के लिए है तब तक…
जब मैं था तब गुरु नहीं, अब गुरु हैं हम नाय (अर्थ)
जब मैं था तब गुरु नहीं, अब गुरु हैं हम नाय । प्रेम गली अति साँकरी, तामे दो न समाय ।। अर्थ: कबीरदास जी कहते हैं कि जीव कहता है…
जबही नाम हृदय धरा, भया पाप का नास (अर्थ)
जबही नाम हृदय धरा, भया पाप का नास । मानो चिनगी आग की, परी पुरानी घास । अर्थ: जब भगवान का स्मरण मन से लिया जाता है तो जीव के…
जा कारण जग ढूंढिया, सो तो घट ही माहिं (अर्थ)
जा कारण जग ढूंढिया, सो तो घट ही माहिं । परदा कीया भरम का, ताते सूझे नाहिं ।। अर्थ: जिस भगवान की तू संसार में खोज करता फिरता है वह…
जल ज्यों प्यारा माछरी, लोभी प्यारा दाम (अर्थ)
जल ज्यों प्यारा माछरी, लोभी प्यारा दाम । माता प्यारा बालका, भक्तना प्यारा नाम ।। अर्थ: जैसे जल मछ्ली के लिए प्यारा लगता है और धन लोभी को प्यारा है,…
जा घर गुरु की भक्ति नहि, संत नहीं समझना (अर्थ)
जा घर गुरु की भक्ति नहि, संत नहीं समझना । ता घर जाम डेरा दिया, जीवन भये मसाना ।। अर्थ: जिस घर में ईश्वर तथा संतों के प्रति आदर-सत्कार नहीं…
जागन में सोवन करे, सोवन में लौ लाय (अर्थ)
जागन में सोवन करे, सोवन में लौ लाय । सूरत डोर लागी रहै, तार टूट नहिं जाय ।। अर्थ: मनुष्य को चाहिए कि उसके मन में जागृत अवस्था में तथा…
जा पल दरसन साधु का, ता पल की बलिहारी (अर्थ)
जा पल दरसन साधु का, ता पल की बलिहारी । राम नाम रसना बसे, लिजै जनम सुधारि ।। अर्थ: जिस घड़ी साधु का दर्शन हो उसे श्रेष्ठ समझना चाहिए ।…