ऊँचे कुल का जनमिया, करनी ऊंच न होय (अर्थ)
ऊँचे कुल का जनमिया, करनी ऊंच न होय । सुबरन कालस सुरा भरा, साधु निन्दा सोय ।। अर्थ: अगर उच्च कुल में जन्म लेने वाला व्यक्ति अच्छे कर्म नहीं करेगा…
ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोय (अर्थ)
ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोय । औरन को शीतल करे, आपौ शीतल होय ।। अर्थ: मन से घमंड को बिसार कर ऐसी वाणी बोलनी चाहिए जो दूसरों को…
एक कहूँ तो है नहीं, दूजा कहूँ तो गार (अर्थ)
एक कहूँ तो है नहीं, दूजा कहूँ तो गार । है जैसा तैसा रहे, रहे कबीर विचार ।। अर्थ: कबीर कहते हैं यदि मैं ईश्वर को एक कहूँ तो यह…
अवगुन कहूँ शराब का, आपा अहमक होय (अर्थ)
अवगुन कहूँ शराब का, आपा अहमक होय । मानुष से पशुया भया, दाम गाँठ से खोय ।। अर्थ: तुमसे शराब की बुराई करता हूँ कि शराब पीकर आप पागल होते…
उतने कोई न आवई, पासू पूछूँ धाय (अर्थ)
उतने कोई न आवई, पासू पूछूँ धाय । इतने ही सब जात है, भार लदाय लदाय ।। अर्थ: कबीरदास जी कहते हैं कि कोई भी जीव स्वर्ग से नहीं आता…
उज्ज्वल पहरे कापड़ा, पान-सुपारी खाय (अर्थ)
उज्ज्वल पहरे कापड़ा, पान-सुपारी खाय । एक हरि के नाम बिन, बाँधा यमपुर जाय ।। अर्थ: उजले कपड़े पहनता है और पाण-सुपारी खाकर अपने तन को मैला नहीं होने देता।…
आया था किस काम को, तू सोया चादर तान (अर्थ)
आया था किस काम को, तू सोया चादर तान । सूरत संभाल ए काफिला, अपना आप पहचान ।। अर्थ: कबीर जी कहते हैं कि प्राणी तू यहाँ मनुष्य योनि में…
आशा को ईंधन करो, मनशर करा न भूत (अर्थ)
आशा को ईंधन करो, मनशर करा न भूत । जोगी फेरी यों फिरो, तब बुन आवे सूत ।। अर्थ: कबीर जी कहते हैं कि सच्चा योगी बनना है तो मोह…
आग जो लागी समुद्र में, धुआँ न प्रगटित होय (arth)
आग जो लागी समुद्र में, धुआँ न प्रगटित होय । सो जाने जो जरमुआ, जाकी लाई होय ।। अर्थ: कबीर जी कहते हैं कि आग प्रायः धुआँ से जानी जाती…
आए हैं सो जाएँगे, राजा रंक फकीर (अर्थ)
आए हैं सो जाएँगे, राजा रंक फकीर । एक सिंहासन चढ़ि चले, एक बाँधि जंजीर ।। अर्थ: कबीरदास जी कहते हैं कि जो प्राणी इस संसार में जन्म ग्रहण करेगा…