जा कारण जग ढूंढिया, सो तो घट ही माहिं (अर्थ)
जा कारण जग ढूंढिया, सो तो घट ही माहिं । परदा कीया भरम का, ताते सूझे नाहिं ।। अर्थ: जिस भगवान की तू संसार में खोज करता फिरता है वह…
जल ज्यों प्यारा माछरी, लोभी प्यारा दाम (अर्थ)
जल ज्यों प्यारा माछरी, लोभी प्यारा दाम । माता प्यारा बालका, भक्तना प्यारा नाम ।। अर्थ: जैसे जल मछ्ली के लिए प्यारा लगता है और धन लोभी को प्यारा है,…
जा घर गुरु की भक्ति नहि, संत नहीं समझना (अर्थ)
जा घर गुरु की भक्ति नहि, संत नहीं समझना । ता घर जाम डेरा दिया, जीवन भये मसाना ।। अर्थ: जिस घर में ईश्वर तथा संतों के प्रति आदर-सत्कार नहीं…
जागन में सोवन करे, सोवन में लौ लाय (अर्थ)
जागन में सोवन करे, सोवन में लौ लाय । सूरत डोर लागी रहै, तार टूट नहिं जाय ।। अर्थ: मनुष्य को चाहिए कि उसके मन में जागृत अवस्था में तथा…
जा पल दरसन साधु का, ता पल की बलिहारी (अर्थ)
जा पल दरसन साधु का, ता पल की बलिहारी । राम नाम रसना बसे, लिजै जनम सुधारि ।। अर्थ: जिस घड़ी साधु का दर्शन हो उसे श्रेष्ठ समझना चाहिए ।…
ज्यों तिल मांही तेल है, ज्यों चकमक में आग (अर्थ)
ज्यों तिल मांही तेल है, ज्यों चकमक में आग । तेरा सांई तुझी में, जागि सकै तो जाग ।। अर्थ: जिस तरह तिल्ली के अंदर तेल तथा चकमक में अग्नि…
चलती चक्की देख के, दिया कबीरा रोय (अर्थ)
चलती चक्की देख के, दिया कबीरा रोय । दुइ पट भीतर आइके, साबित बचा न कोय ।। अर्थ: चलती हुई चक्की को देखकर कबीर रोने लगे कि दोनों पाटों के…
छीर रूप सतनाम है, नीर रूप व्यवहार (अर्थ)
छीर रूप सतनाम है, नीर रूप व्यवहार । हंस रूप कोई साधु है, तत का छानन हार ।। अर्थ: भगवान राम का नाम दूध के समान है और सांसरिक व्यवहार…
छिन ही चढ़े छिन उतरे, सो तो प्रेम न होय (अर्थ)
छिन ही चढ़े छिन उतरे, सो तो प्रेम न होय । अघट प्रेम पिंजरे बसे, प्रेम कहाबै सो ।। अर्थ: जो प्रेम क्षण-क्षण में घटता तथा बढ़ता रहता है वह…
गारी ही सो ऊपजे, कलह कष्ट और भींच (अर्थ)
गारी ही सो ऊपजे, कलह कष्ट और भींच । हारि चले सो साधु हैं, लागि चले सो नीच ।। अर्थ: गाली से ही कलह और दुःख तथा मृत्यु पैदा होती…