kabir das

पोथी पढ़-पढ़ जग मुआ, पंडित हुआ न कोय (अर्थ)

पोथी पढ़-पढ़ जग मुआ, पंडित हुआ न कोय । एकै आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय ।। अर्थ: पुस्तकों को अध्ययन करते-करते जाने कितने व्यक्ति मर गए परंतु कोई…

प्रेम पियाला जो पिये, सीस दक्षिणा देय (अर्थ)

प्रेम पियाला जो पिये, सीस दक्षिणा देय । लोभी शीश न दे सके, नाम प्रेम का लेय ।। अर्थ: व्यक्ति प्रेमामृत से परिपूर्ण प्याले का पान करते हैं वह उस…

नहिं शीतल है, चंद्रमा, हिम नहिं शीतल होय (अर्थ)

नहिं शीतल है, चंद्रमा, हिम नहिं शीतल होय । कबिरा शीतल संतजन, नाम स्नेही होय ।। अर्थ: चंद्रमा शीतल नहीं है और हिम भी शीतल नहीं, क्योंकि उनकी शीतलता वास्तविक…