kabir das

जल ज्यों प्यारा माछरी, लोभी प्यारा दाम (अर्थ)

जल ज्यों प्यारा माछरी, लोभी प्यारा दाम । माता प्यारा बालका, भक्तना प्यारा नाम ।। अर्थ: जैसे जल मछ्ली के लिए प्यारा लगता है और धन लोभी को प्यारा है,…

जा घर गुरु की भक्ति नहि, संत नहीं समझना (अर्थ)

जा घर गुरु की भक्ति नहि, संत नहीं समझना । ता घर जाम डेरा दिया, जीवन भये मसाना ।। अर्थ: जिस घर में ईश्वर तथा संतों के प्रति आदर-सत्कार नहीं…

ज्यों तिल मांही तेल है, ज्यों चकमक में आग (अर्थ)

ज्यों तिल मांही तेल है, ज्यों चकमक में आग । तेरा सांई तुझी में, जागि सकै तो जाग ।। अर्थ: जिस तरह तिल्ली के अंदर तेल तथा चकमक में अग्नि…

छिन ही चढ़े छिन उतरे, सो तो प्रेम न होय (अर्थ)

छिन ही चढ़े छिन उतरे, सो तो प्रेम न होय । अघट प्रेम पिंजरे बसे, प्रेम कहाबै सो ।। अर्थ: जो प्रेम क्षण-क्षण में घटता तथा बढ़ता रहता है वह…