kabir das

कबीर सोता क्या करे, जागो जपो मुरार (अर्थ)

कबीर सोता क्या करे, जागो जपो मुरार । एक दिना है सोवना, लांबे पाँव पसार ।। अर्थ: कबीर अपने को संबोधित करते हुए कहते हैं कि हे कबीर! तू सोने…

कस्तूरी कुंडल बसै, मृग ढूंढे बन माहिं (अर्थ)

कस्तूरी कुंडल बसै, मृग ढूंढे बन माहिं । ऐसे घट-घट राम है, दुनिया देखे नाहिं ।। अर्थ: भगवान प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में विद्यमान है परंतु सांसारिक प्राणी उसे देख…

करता था सो क्यों किया, अब कर क्यों पछिताय (अर्थ)

करता था सो क्यों किया, अब कर क्यों पछिताय । बोया पेड़ बाबुल का, आम कहाँ से खाय ।। अर्थ: कार्य को विचार कर करना चाहिए, जिस प्रकार बबूल का…