kabir ke dohe

चन्दन जैसा साधु है, सर्पहि सम संसार (अर्थ)

चन्दन जैसा साधु है, सर्पहि सम संसार । वाके अङ्ग लपटा रहे, मन मे नाहिं विकार ।। अर्थ: साधु चन्दन के समान है और सांसारिक विषय वासना सर्प की तरह…

गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पाँय (अर्थ)

गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पाँय । बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय ।। अर्थ: गुरु और गोविंद मेरे सन्मुख दोनों खड़े हैं हुए हैं अब मैं किनके पैरों…

गर्भ योगेश्वर गुरु बिना, लागा हर का सेव (अर्थ)

गर्भ योगेश्वर गुरु बिना, लागा हर का सेव । कहे कबीर बैकुंठ से, फेर दिया शुकदेव ।। अर्थ: यदि किसी ने अपना गुरु नहीं बनाया और जन्म से ही हरि…

कांचे भाड़े से रहे, ज्यों कुम्हार का नेह (अर्थ)

कांचे भाड़े से रहे, ज्यों कुम्हार का नेह । अवसर बोवे उपजे नहीं, जो नहिं बरसे मेह ।। अर्थ: जिस तरह कुम्हार बहुत ध्यान व प्रेम से कच्चे बर्तन को…